Wednesday, May 31, 2023
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Damaged the Reputation of the Monastery : मठ की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई, इसीलिए आनंद को वसीयत से हटाया

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इंडिया न्यूज, प्रयागराज।

Damaged the Reputation of the Monastery : महंत ने नरेंद्र गिरि ने दस साल के अंदर तीन वसीयतें लिखी थीं लेकिन अंतिम वसीयत में उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि आनंद ने मठ और मंदिर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई। इसीलिए उन्हें उत्तराधिकारी के पद से हटाया जा रहा है। नरेंद्र गिरि ने वसीयत में आस्ट्रेलिया का नाम तो नहीं लिखा लेकिन इशारों में बताया कि वह विदेशों में धर्मविरोधी गतिविधियों में शामिल था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मठ, मंदिर और साधु समाज की छवि को नुकसान पहुंचा। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में तीनों वसीयतों को भी भी आधार बनाया है।

2020 में नई वसीयत बनवाई (Damaged the Reputation of the Monastery)

नरेंद्र गिरि ने चार जून 2020 को अधिवक्ता ऋषि शंकर द्विवेदी के मार्फत नई वसीयत बनवाई थी। इसमें उन्होंने स्वामी बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी घोषित करते हुए आनंद गिरि को हटा दिया था। नई वसीयत में नरेंद्र गिरि ने लिखा था कि आनंद गिरि ने बाघंबरी मठ से अलग गंगा सेना नाम का संगठन बनाया है। इसका मठ और मंदिर से कोई संबंध नहीं। आनंद अक्सर विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए विदेश जाते रहते हैं।

आस्ट्रेलिया में गिरफ्तारी को बनाया आधार (Damaged the Reputation of the Monastery)

विदेशों में आनंद ने खुद को धर्मविरोधी गतिविधियों में शामिल कर लिया, जिसके कारण बाघंबरी मठ और हनुमान मंदिर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। उन्होंने इशारों में ही आस्ट्रेलिया में आनंद की गिरफ्तारी को इसका आधार बनाया था। इन्हीं सब तमाम कारणों से आनंद गिरि को उत्तराधिकारी पद से हटा दिया गया था। इससे पहले 29 अगस्त 2011 को नरेंद्र गिरि ने दूसरी वसीयत में आनंद गिरि को उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। नरेंद्र गिरि ने अपनी पहली वसीयत सात जनवरी 2010 को लिखी थी। इसमें उन्होंने स्वामी बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाया था। सीबीआई ने नरेंद्र गिरि की तीनों वसीयतों का उल्लेख चार्जशीट में किया है।

(Damaged the Reputation of the Monastery)

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