इंडिया न्यूज, लखनऊ:
Farmers in UP are selling wheat directly इसे कारोबारी समझ कहे या कुछ और, हालात यह है कि यूपी में किसान बजाए सरकार को गेहूं बेचने के सीधे बाजार में व्यापारियों और आढ़तियों को बेच रहे हैं। गेहूं खरीदने वाले कारोबारी इसे विदेश भेज रहे हैं। वहीं इसका बुरा प्रभाव सरकारी खरीददारी पर पड़ रहा है। एमएसपी पर सरकार क्रय केंद्रों पर खरीद बहुत कम है।
एक अप्रैल से शुरू हुई है खरीददारी Farmers in UP are selling wheat directly
गेहूं की सरकारी खरीद पहली अप्रैल से शुरू होती है। पिछले वर्ष एक से लेकर 10 अप्रैल तक उत्तर प्रदेश में सरकारी क्रय केंद्रों पर 96,000 टन गेहूं खरीदा गया था। वहीं इस साल 10 अप्रैल तक क्रय केंद्रों पर गेहूं की खरीद सिर्फ 4,668 टन हुई है। सरकार ने इस वर्ष 60 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है।
सीधे बाजार में बेच रहे हैं किसान Farmers in UP are selling wheat directly
यूपी में पिछले वर्ष सरकारी क्रय केंद्रों के जरिये 56.41 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। बाजार में प्रचलित भाव एमएसपी से ज्यादा होने के कारण गेहूं बेचने के लिए किसान क्रय केंद्रों की बजाय व्यापारियों व आढ़तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। प्रदेश में कई जिलों में गेहूं का बाजार भाव 2050 रुपये से लेकर 2150 रुपये प्रति क्विंटल है। कहीं-कहीं यह 2200 रुपये प्रति क्विंटल भी है। वहीं सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है।
Also Read : किसान का शव गांव के बाहर टुकड़ों में मिला, एक दिन पहले खेत से हुआ था लापता