इंडिया न्यूज, वाराणसी :
वाराणसी में ज्ञानवादी मस्जिद पर होने वाली सुनवाई को लेकर पूरे देश की निगाह टिकी हुई है। गुरुवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी के नियमित पूजा-अर्चना व अन्य विग्रहों को संरक्षित करने के लिए दायर मुकदमे की सुनवाई हुई। जिला जज डा. अजय कुमार विश्वेश की कोर्ट ने सबसे पहले मुस्लिम पक्ष का पक्ष सुना। इसमें उन्होंने शिवलिंग मिलने की बातों को अफवाह बताया।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने 30 मई अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की। संभव है इस मामले को लेकर सोमवार को अदालत किसी नतीजे पर पहुंच सकती है। इसके अलावा कमीशन की रिपोर्ट पर भी कोर्ट में आपत्ति आ सकती है। वहीं, गुरुवार को जिला जज के आदेश पर एक अधिवक्ता को न्यायालय परिसर से हटा दिया गया।
रूल-7 आर्डर-11 को खारिज करने की मांग
गुरुवार को करीब दो घंटे की सुनवाई में अधिकांश समय मुस्लिम पक्ष ने अपनी बात रखी। मुस्लिम पक्ष की ओर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने हिंदू पक्ष का यह मुकदमा पूरी तरह से गैर-धारणीय है। उन्होंने कहा कि शिवलिंग का अस्तित्व केवल कथित है और अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। अफवाहों के परिणामस्वरूप सार्वजनिक अशांति होती है। इसलिए इसे सिविल प्रक्रिया संहिता के आॅर्डर 7 रूल 11 के तहत खारिज कर दिया जाना चाहिए।
वादी-प्रतिवादी पक्ष में तीखी बहस
अदालत में वादिनी पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन समेत लगभग 30 लोग मौजूद हैं। कोर्ट में प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अभयनाथ यादव अपना पक्ष रख रहे हैं। वह इस बात पर बल दे रहे हैं कि यह वाद पोषणीय नहीं है। सूत्रों की माने तो सबसे पहले वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अपनी दलीलें रखीं हैं। ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे पर दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपना-अपना पक्ष जोरदारी से रखा।
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शिवलिंग के साथ हुई छेड़छाड़
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी सर्वे के मुकदमे की सुनवाई से पहले न्यायालय पहुंचे वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि शिवलिंग मुस्लिम पक्ष के कब्जे में था। उन्होंने उसके साथ छेड़छाड़ की है। इस बाबत उन्होंने जिला न्यायाधीश की कोर्ट को सूचित किया था।
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