(Folk festival Fuldei celebrated with pomp in Lohaghat, know what is the folk festival Fuldei) लोहाघाट (Lohaghat) में लोक पर्व फूलदेई को धूमधाम से मनाया गया। सवेरे से ही बच्चे टोलिया बनाकर घर घर जाकर घर की देलियो का फूलों से पूजन करने में जुटे रहे तथा घर की सुख समृद्धि की कामना बच्चों ने की। ग्रह स्वामियों के द्वारा बच्चों को उपहार दिए गए तथा उत्तराखंडी पकवान खिलाएं गए।
खबर में खास:
- लोक पर्व फूलदेई को धूमधाम से मनाया गया
- ग्रह स्वामियों के द्वारा बच्चों को उपहार दिए गए
- उत्तराखंडी पकवान खिलाएं गए
जाने क्या हैं फूलदेई त्योहार
फूलदेई त्योहार मुख्यतः छोटे छोटे बच्चो द्वारा मनाया जाता है। यह उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व है। फूलदेई त्योहार बच्चों द्वारा मनाए जाने के कारण इसे लोक बाल पर्व भी कहते हैं। प्रसिद्ध त्योहार फूलदेई चैैत्र मास के प्रथम तिथि को मनाया जाता है। इस दिन घरों की देहरी / दहलीज पर बच्चे गाना गाते हुए फूल डालते हैं। इस त्यौहार को फूलदेई कहा जाता है। कहीं-कहीं फूलों के साथ बच्चे चावल भी डालते हैं। इसी को गढ़वाल में फूल संग्राद और कुमाऊं में फूलदेई पर्व कहा जाता है। इस त्यौहार मे फूल डालने वाले बच्चे फुलारी कहलाते हैं। फूलदेई को फुलदेई, छम्मा देई, दैणी द्वार, फूल संक्रांति तथा फूल संग्राद आदि नामो से जाना जाता है।
लड़कियां घर की खुशहाली की कामना करती हैं
फूलदेई के दिन लड़कियां और बच्चे सुबह-सुबह उठकर फ्यूंली, बुरांश, बासिंग और कचनार जैसे जंगली फूल इकट्ठा करते हैं। इन फूलों को थाली या टोकरी में सजाया जाता है। टोकरी में फूलों-पत्तों के साथ गुड़, चावल, पैसे और नारियल रखकर बच्चे अपने गांव और मुहल्ले की ओर निकल जाते हैं।फूल और चावलों को गांव के घर की देहरी, यानी मुख्यद्वार पर डालकर लड़कियां उस घर की खुशहाली की कामना करती हैं। इस दौरान एक गाना भी गाया जाता है- फूलदेई, छम्मा देई….दैणी द्वार, भरे भकार…. यो देई पूजूं बारम्बार